जब जब दर्द का बादल छाया, जब गम का साया लैहराया
जब जब दर्द का बादल छाया जब गम का साया लैहराया जब आँसू पलकों तक आया जब ये तन्हा दिल घबराया हमने दिल को ये समझाया दिल आखिर तू क्यों रोता है दुनिया मे यूँ ही होता है ये जो गहरे सऩ्नाटे…
जब जब दर्द का बादल छाया जब गम का साया लैहराया जब आँसू पलकों तक आया जब ये तन्हा दिल घबराया हमने दिल को ये समझाया दिल आखिर तू क्यों रोता है दुनिया मे यूँ ही होता है ये जो गहरे सऩ्नाटे…
एक मासूम बच्ची मिली थी मुझे पत्थर तोड़ती हुई पेट की भूख मिटने के लिए कुछ पैसे जोरती हुई एक मासूम बच्ची मिली थी मुझे पत्थर तोड़ती हुई रूखे बाल चेहरे पे भोलापन आखो में रोटी के…
मेरी खुशिया मेरी माँ से है मेरे जज्बात मेरी माँ से है मेरी साँसे मेरी माँ से है मेरी मुस्कान मेरी माँ से है मेरा एहसास मेरी माँ से है मेरा आभाष मेरी माँ से है क्यों की में, मेरी सोच,मेर…
भारत के भूतपूर्व राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की अद्भुत रचना - आओ फिर से दिया जलाएँ आओ फिर से दिया जलाएँ भरी दुपहरी में अंधियारा सूरज परछाई से हारा अंतरतम क…
आज भारत के महान क्रांतिकारी और देशभक्त राम प्रसाद 'बिस्मिल' की जयंती है| देश की आजादी में अपनी अहम भूमिका निभाते हुए इन्होंने अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया| भारत के इस महाप्राण …
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा। सदा शक्ति बरसाने वाला, प्रेम सुधा सरसाने वाला वीरों को हरषाने वाला मातृभूमि का तन-मन सारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा। स्वतंत्रता के भ…
घुटनों से रेंगते रेंगते.. कब पैरों पर खड़ा हुआ, तेरी ममता की छाओं में जाने कब बड़ा हुआ! काला टीका दूध मलाई आज भी सब कुछ वैसा है, मैं ही मैं हूँ हर जगह प्यार यह तेरा कैसा …
जाऊँगा खाली हाथ मगर, यह दर्द साथ ही जायेगा; ... जाने किस दिन हिन्दोस्तान, आजा द वतन कहलायेगा। बिस्मिल हिन्दू हैं कहते हैं, फिर आऊँगा-फिर आऊँगा; ... ले नया जन्म ऐ भारत माँ! तुझको आजा…
खाली प्याला धुंधला दर्पण मन में एक अजब सी उदासी मेरी आँखें कब से प्यासी कैसा तेरा है ये समर्पण खाली प्याला धुंधला दर्पण कब से चाहूं तुझसे मिलना मेरे दिल का दिल में जलना कैस य…
अंतर्मन का अंतर्द्वंद , या अंतर्मन की व्याकुलता ! अंतर्मन करता क्रंदन , या अंतर्मन की आतुरता ! अश्रुहीन अब नेत्र बने , वह पुष्प ह्रदय अब कुम्हलाया ! निस्तेज हुआ वह मुखमंडल , रहती उ…
आज़ादी के इस आँगन में.. जो बारूद बिछाएगा, कसम शहीदों की वह जालिम... यहाँ नहीं रह पायेगा ! अबकी बारी युद्ध छिड़ा.. तो विराम नहीं लग पायेगा , जहा गड़ेगा अमर तिरंगा वहीँ तक भारत.. क…
उठो सोने वालों सबेरा हुआ है। वतन के फ़क़ीरों का फेरा हुआ है।। उठो अब निराशा निशा खो रही है सुनहली-सी पूरब दिशा हो रही है उषा की किरण जगमगी हो रही है विहंगों की ध्वनि नींद तम धो रही ह…
आज सभी आज़ाद हो गए, फिर ये कैसी आज़ादी वक्त और अधिकार मिले, फिर ये कैसी बर्बादी संविधान में दिए हक़ों से, परिचय हमें करना है, भारत को खुशहाल बनाने, आज क्रांति फिर लाना है... जहाँ …
खुद के वजन से ज्यादा का बोझ ढोती हूँ, मै एक गरीब की बेटी हूँ इसलिए रोती हूँ, अमीर ठेकेदार ने भर लिये स्विस अकाउंट, मै एक गरिब की बेटी हुं इसलिए ... फुटपाथ पर भूखे पेट सोती हूँ, ठे…
हम हैं तमाशबीन अपना ही घर फूंक कर देखते हैं तमाशा पर कबीर नहीं हो पाते हम आग का इस्तेमाल चूल्हों के लिए नहीं करते उसमें सेंकते हैं हर दिन प्रियजनों की देह भूनते हैं बच्चों को …