आज़ादी के इस आँगन में.. जो बारूद बिछाएगा,
कसम शहीदों की वह जालिम... यहाँ नहीं रह पायेगा !
अबकी बारी युद्ध छिड़ा.. तो विराम नहीं लग पायेगा ,
जहा गड़ेगा अमर तिरंगा वहीँ तक भारत.. कहलायेगा !
नहीं रुकेगा... नहीं झुकेगा , नहीं मिटेगा... हिंदुस्तान,
चाहे दुनिया मिट जाये.. चाहे दुनिया बाँट जाए..
पर नहीं बटेगा अब हिंदुस्तान.. नहीं बटेगा अब हिंदुस्तान !!
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कविताएं