
खाली प्याला धुंधला दर्पण
मन में एक अजब सी उदासी
मेरी आँखें कब से प्यासी
कैसा तेरा है ये समर्पण
खाली प्याला धुंधला दर्पण
कब से चाहूं तुझसे मिलना
मेरे दिल का दिल में जलना
कैस ये सावन का पतझड
खाली प्याला धुंधला दर्पण
चली गयी तु झलक दिखाकर
मेरे दिल में आग लगाकर
तेरा कैसा ये आकर्षँण
खाली प्याला धुंधला दर्पण
- दीपक चौबे जी dwara
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कविताएं