
जिनको ये पढ़ा लिखा समाज अनपढ़ कहता है, वो आज भी सबसे सुसंस्कृत है | शायद इन्हें देश में हो रहे भ्रष्टाचार के बारे में कुछ भी नहीं पता, इनका तो जैसे एक ही धर्म है .. भारतीयता का, मानवता का .. और ये पूरे मन से अपना धर्म निभा रहे है |
काश बड़े लोग इसको समझ सकें कि पैसे से कहीं अधिक मूल्य है मानवता का, प्यार का, सम्मान का, नैतिकता का, धर्म का ..
5% और 9% आर्थिक उन्नति का कोई भी महत्व नहीं है यदि इसके लिए हमें अपने मूल्यों से समझौता करना पड़ रहा है, हमारे समाज में नैतिकता का ह्रास हो रहा है..