अगर भारत का पुराना वैभव लौटाना हैं तो



अगर भारत का पुराना वैभव लौटाना हैं तो शुरुआत हमें बच्चो के स्कूल से करनी होगी, हमें बच्चो को संस्कार स्कूल में देना होगा, बच्चो की पढाई भारतीय प्रणाली से हो जैसा पुराने समय में गुरुकुलो में होती थी| हमें उन्हें बचपन में ही स्वाभिमान इमानदारी, और अपने क्रांतिकारियों की कहानी पढ़ाना होगा भारत के वैभवशाली इतिहास और आज की परिस्थिति और उनके कारणों पर ज्ञान देना होगा| इतिहास के जरिये हमें बच्चो को बताना होगा कि पहले इतने सफल क्यों थे और बाद में असफल क्यों हुए? और हमें पुनः सफल होने के लिए क्या करना होगा यह उनको समझाना होगा|

आज की शिक्षण प्रणाली सिर्फ नौकर पैदा कर रही हैं, जबकि हमें जरुरत हैं जिम्मेदार नागरिक की जो देश का वैभव बढ़ा सके, मगर यह मिशिनरी स्कूलों और पब्लिक स्कूलों में संभव नहीं हैं, वहाँ से पढ़ कर निकलने वाले उच्चकोटि के नौकर तो हो सकते हैं पर जिम्मेदार नागरिक नहीं और ऐसे स्कूलों से निकलने वाले अधिकतर स्टूडेंट निजी और व्यवसायिक जीवन में असफल ही होते हैं| इस क्षेत्र में सरस्वती शिशु मंदिर अच्छा कार्य कररहे हैं और बाबा रामदेव जी ने भी प्रयास किया हैं पर यह बहुत थोडा हैं इसको बहुत बड़े स्तर पर और उच्चकोटि की सुविधाओ के साथ शुरू किया जाना चाहिए ताकि भारत का अभिजात्य वर्ग भी इन स्कूलों में अपने बच्चो को भेजे ताकि हमारा वैभवशाली भारत का सपना साकार हो सके|

इस फोटो में जो संस्कारित बच्ची दिख रही हैं ऐसे संस्कार सिर्फ भारतीय शिक्षा प्रणाली ही दे सकती हैं कोई विदेशी मिशिनरी स्कूल नहीं वहाँ के बच्चे गैरो को कौन कहे अपने बूढ़े माँ बाप को भी ओल्ड एज होम में छोड़ आते हैं अब फैसला आपके हाथ में हैं की संस्कारी बच्चे चाहिए या ऐसे कुसंस्कारी बच्चे जो माँ बाप का भी सम्मान ना कर सके|

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