भारत की गुलामी के प्रमाण आज भी कई बार मिलते हैं
निम्नलिखित व्यंग्य देखें
- ओह माई गोड ओह माई गोड
- वैरी नाईस
- अरे यार तू तो अंग्रेज सा लगता है
- इट्स माई प्लेजर, थैंक्यू , सॉरी ,ओसम
- इंडियनस् आर फूल
- वाटा सेक्सी यार
- कूल डयूड, क्यूट, प्रीटी, बेब
- टेल मी अबाउट यू समथिंग
- आई विल कॉल यू बेक .. बट नोट नाव
- लोल लोल, य़ेह.. यिपी..
- व्हाट, ओह हेल्लो.. डोंट डिस्टरब मी
आखिर क्या है ये सब...?? क्या हम किसी अंग्रेज से बातें कर रहे है... जिसको समझाने के लिए हमें अंग्रेजी का इस्तेमाल करना पड़ रहा है.. या हम अपने आपको अंग्रेज साबित करने की कोशिश कर रहे है...
जब हम जानते है दूसरा व्यक्ति जिससे हम बात कर रहे है.. हमारी भारतीय भाषा में बात कर सकता है.. तो क्यों नहीं हम कर सकते.
..
क्या हमारी मातृभाषा और भारतीय भाषाओं में शब्द खत्म हो गये हैं ??
या
हमें पाश्चात्य संस्कृति.. भारतीय संस्कृति से ज्यादा प्यारी लगती है...??
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